वो अमीरों की दौलत भाग 4
सच्चा साथी कौन..?
विधार्थी जीवन में अक्सर खुद से यह प्रश्न उठता रहता है। जब सबसे अकेले हो जाते हैं तो बार बार इस प्रश्न का उत्तर ढुढने लगते हैं।
मेरे हिसाब से सच्चा साथी विधार्थी जीवन में किताबें ही होती है। और जब समाज में क़दम रखते हैं तो एक सच्चे साथी अपना जिगरी यार दोस्त होते हैं। जो आप को समझें। शिवा और केशव की भी यही यारियां थी। जब भी एक दुसरे की जरूरत हो तो हाज़िर हो जाते हैं।
शिवा को काम करते करते रात के आठ बज गये थे। बारिश का समय था और बारिश भी बहुत तेजी से चल रही थी। केशव ने बारिश तेज देखा तो अपने घर से बने खाना लेकर हवेली की और चल दिया। शिवा हवेली का पानी भी पीना पसंद नहीं करता था। शायद इसीलिए दोपहर में भी खुद को काम में लगाएं रखा।
पिता की बात थी और मना भी नहीं कर सकता था। इसलिए भूखे रह गया। ऐसी बात नहीं थी खाने के लिए पूछा था परंतु खाकर आया हूं कह दिया था।
गुदाम में बैठा बारिश छुटने की इंतजार में था। केशव जल्दी से एक घंटे में पहुंच गया। शिवा केशव को देखकर खुश हो गया था। क्यों कि भूख लगी थी और थोडा काम करते करते थक भी गया था। शिवा बोला यार चल घर पर ही खाएंगे। तब ही मालिक ने शिवा को बुलाया। एक नौकरानी ने आकर बोली कि शिवा भैया आप को मालिक बुला रहे हैं। केशव रूक मैं मालिक से बात करके आता हूं।
दरवाजे पर कुर्सी लगाकर अपनी बेटी के साथ बातचीत कर रहे थे। बहुत दिनों बाद मालिक की बेटी घर आईं थी। शहर में रहकर पढ़ाई करती थी। शिवा ने मालिक के सामने आकर खड़ा हो गया। मालिक ने कहा शिवा से कि तुम रात में यही रह जाओ। क्यों कि कल सवेरे मेरी बेटी को शहर के लिए जाना है। दो दिन का वहां काम है। कोलेज में वाद-विवाद प्रतियोगिता हैं। जी हां कहकर तो केशव के पास चला आया। परंतु दिमाग ख़राब हो गया था। केशव ने कहा कि क्या हुआ भाई। मालिक तुझे बोला क्या । और यह बताओं कि मालिक ने क्या फरमाइश की है। केशव बचपन से मुह पर बोल देने वाला शख्स था। इसलिए वह शिवा का मुंह उतरा देखकर तैश में आ गया था।
शिवा ने कोलेज कल जाना होगा। मालिक की बेटी को कोलेज में वाद-विवाद प्रतियोगिता का हिस्सा है तूं उसी में भाग लेने जाएगी। मुझे भी उन के साथ जाना होगा। रात में जो मन माना केशव के साथ खाना खा लिया। तब तक बारिश भी खत्म हो चुकी थी। इसलिए केशव चलता हूं कहकर घर की ओर चल दिया। शिवा यहां गोदाम में बने एक कमरे में थका था तो जल्दी ही नींद लग गई थी। मालिक ने अपने बेटी से बोले कि शिवा के लिए खाना भेजवा दो। थक गया होगा। शिवा के लिए खाना खुद मालिक की बेटी लेकिन आई थी। क्यों कि रात में जो नौकरानी थी उसकी तबीयत ख़राब हो जाने के कारण घर चली गई थी।
मालिक की बेटी उसके कमरे की दरवाजे पर खड़ी शिवा को सोते हुए देख रही थी। शांति और स्थिरता से भरा हुआ चेहरा मासुमियत की चादर ओढ़े सो रहा था।शायद स्थिरता देखकर शिवा को देखती रह गई। शिवा को आभास हुआ कि कोई बुला रहा है। तो तुरंत उठकर बैठ गया। मालिक की बेटी ने शिवा से कही कि तुम्हारा नाम क्या है । शिवा ... ने धीमी आवाज में कहा शिवा मेरा नाम है। आप को यहां नहीं आना चाहिए था। और मैं खाना खा लिया हूं। तो आप को मेरे लिए तकलीफ उठाने की जरूरत नहीं थी।
मैं वसुधा हूं। मुझे मेरे नाम से भी बुला सकते हो। शिवा ने जी कहकर खाने लगा। खाना तो बहुत अच्छा बना हुआ था। परंतु शिवा ने मन ही मन शुक्रिया अदा किया। शिवा खुद को सबसे अलग रहना पसंद करने वाला लड़का है । शायद इसीलिए वसुधा से ख़ुद को दूरी बना के रखा हुआ था।
जब शिवा खाना खा लिया और थाली धोने लगा तो वसुधा बोली क्यों बात नहीं है। लाओ मैं साफ़ कर दूंगी। तुम अब आराम करो। मैं चलती हूं।
जारी है.....
देव ✍️✍️
RISHITA
13-Oct-2023 01:02 PM
Amazing
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hema mohril
11-Oct-2023 02:37 PM
V nice
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Gunjan Kamal
08-Oct-2023 08:50 PM
👏👌
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